Wednesday 27 July 2011

लोकतन्त्र को लूटतन्त्र बनाया

स्वामी रामदेव
हमने इस देश के जिम्मेदार नागरिक के नाते राष्टहित में राष्ट्रहित व राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि मानकर भ्रष्टाचार व कालेधन के खिलाफ आवाज उठाकर साथ ही पक्षपात, शोषण व अन्यायपूर्ण-व्यवस्थाओं कानूनों व नीतियों की जनहित मेम परिवर्तन की बात करके आखिर हमने क्या गुनाह किया है? 

आजाद भारत के एक जिम्मेदार नागरिक के नाते मुझे ही नहीं इस देश के 121 करोड आम व खास लोगों को इस भ्रष्टाचार, कालाधन, अन्याय व शोषण के खिलाफ आवाज उठानी ही चाहिए और यदि कोई आग्रह, अज्ञान, अहंकार व स्वार्थ के कारण इस सत्य संघर्ष व आंदोलन को गुनाह, अपराध या अधर्म कहता है तो भी हम एक बार नहीं हजारों लाखों बार व अन्तिम सांस तक ये आंदोलन जारी रखेंगे 

तथा जब तक कालाधन देश को नही मिल जाता, भ्रष्टाचार नहीं मिट जाता तथा शिक्षा, चिकित्सा, कानून व अर्थ-व्यवस्था आदि के नाम पर जो अन्याय पक्षपात व शोषण समाप्त नही हों जाता, लोकतन्त्र को एक कुछ लोगों ने षडयन्त्र करके लूटतन्त्र व भ्रष्टतन्त्र बना दिया है 

अत: जब तक एक आदर्श लोकतन्त्र, एक आदर्श लोकतन्त्र, राजनैतिक व्यवस्था राष्ट्र में स्थापित नही हो जाती, हम सम्पूर्ण ऊर्जा के साथ संघर्ष करेंगे और विजयी होंगे।

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